Site icon News Book -Rajasthan News | राजस्थान न्यूज़ | Rajasthan News in Hindi

Udaipur News: लक्ष्यराज मेवाड़ के आमंत्रण पर सिटी पैलेस में शामिल हुए राजपुरोहित, 300 साल बाद ऐतिहासिक पुनर्मिलन

Udaipur's City Palace

Udaipur's City Palace

उदयपुर। उदयपुर के सिटी पैलेस में बुधवार को इतिहास ने खुद को दोहराया, जब 300 वर्षों बाद गेनड़ी, पिलोवणी, वणदार, रूंगड़ी और शिवतलाव गाँवों के राजपुरोहितों ने महल में प्रवेश किया। डॉक्टर लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ के विशेष आमंत्रण पर 150 से अधिक बुजुर्ग राजपुरोहित सिटी पैलेस पहुंचे, जहां पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ उनका भव्य स्वागत किया गया।


यह भी देखें


1311 की ऐतिहासिक घटना से जुड़ा संबंध

यह पुनर्मिलन वर्ष 1311 की एक महत्वपूर्ण घटना से जुड़ा है। अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के दौरान मेवाड़ की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए सोमा जी राजपुरोहित के वंशजों को महाराणा ने इन गाँवों की जागीरें प्रदान की थीं। इसके बाद एक परंपरा चली, जिसके तहत इन गांवों की बहन-बेटियाँ सिटी पैलेस में राखी भेजती थीं और बदले में उन्हें चूंदड़ (साड़ी) भेंट की जाती थी। वर्षों तक यह परंपरा जारी रही, लेकिन किसी कारणवश यह टूट गई। इसके बाद राजपुरोहितों ने सिटी पैलेस में प्रवेश न करने का संकल्प ले लिया। यह दूरी तीन शताब्दियों तक बनी रही, जिसे समाप्त करने के लिए डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने पहल की।


300 साल बाद फिर जुड़ा रिश्ता
पांचों गांवों के प्रतिनिधियों के सिटी पैलेस पहुंचने पर स्वयं लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने उनका सम्मान किया और दिवंगत अरविंद सिंह मेवाड़ की एक बड़ी तस्वीर भेंट की। इस दौरान उन्होंने गांववालों से कहा, “जो हुआ उसे भूल जाओ, अब इन पांचों गांवों का रिश्ता पैलेस से कभी नहीं टूटना चाहिए। गांववालों ने भी डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ का आभार व्यक्त किया और कहा, “आपने 300 साल की दूरी को खत्म किया है, अब से ये सभी पाँच गाँव हमेशा आपके साथ हैं।”


संस्कृति और परंपराओं को संजोने का संकल्प
इस ऐतिहासिक आयोजन में पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ राजपुरोहितों का भव्य स्वागत किया गया और उनके सम्मान में विशेष समारोह आयोजित किया गया। यह आयोजन केवल एक परंपरा को पुनर्जीवित करने तक सीमित नहीं था, बल्कि इसने मेवाड़ और राजपुरोहित समाज के बीच सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक संबंधों को फिर से मजबूत करने का कार्य किया।
इस पुनर्मिलन से दोनों पक्षों ने पुरानी परंपराओं को फिर से अपनाने और भावी पीढ़ियों को अपनी संस्कृति से जोड़ने का संकल्प लिया। सिटी पैलेस में हुआ यह मिलन सिर्फ एक ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि मेवाड़ की गौरवशाली विरासत को सहेजने और आगे बढ़ाने का संदेश भी देता है। इससे सामाजिक एकता और सांस्कृतिक मूल्यों को भी नई पहचान मिली।


यह भी पढ़ें

  1. डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा को जान से मारने की धमकी, पुलिस कंट्रोल रूम में आया फोन
  2. एडहॉक कमेटी का कार्यकाल समाप्त, क्रीड़ा परिषद ने मांगा खर्चों का ब्यौरा
Exit mobile version