धर्मेन्द्र सिंहल/जयपुर। प्रदेश में उच्च माध्यमिक स्तर (higher secondary level) के विद्यालयों की दशा काफी खराब है। उच्च प्राथमिक विद्यालय (upper primary school) तो अधिकतर एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। यह हालात कार्मिकों की संख्या के लिहाज से प्रदेश के सबसे बड़े महकमे शिक्षा विभाग का है। प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षा (primary and secondary education) में रिक्क्त पदों का आंकड़ा तकरीबन डेढ़ लाख को पार कर चुका है।
यह भी देखें
दिसंबर में अर्ध वार्षिक परीक्षाएं
सरकारी स्कूलों में 25 अक्टूबर से दीपावली अवकाश शुरू हो गया है। दिसंबर में अर्ध वार्षिक परीक्षाएं (half yearly examinations in december) शुरू होगी। ऐसे में शिक्षकों की कमी वाले विद्यालयों में विद्यार्थियों का पाठ्यक्रम पूरा नहीं हो पाएगा। हालात बिगड़ने का प्रमुख कारण एक साथ प्रदेश के सैकड़ों विद्यालयों को क्रमोन्नत (upgrade schools) करने को माना जा रहा है। पिछली कांग्रेस सरकार ने प्रदेश के 3828 माध्यमिक विद्यालयों को एक साथ उच्च माध्यमिक में क्रमोन्नत कर दिया। इनके लिए आवश्यक विषय व्याख्याताओं और वरिष्ठ शिक्षकों(Subject lecturers and senior teachers) की कोई व्यवस्था नहीं की।
माध्यमिक शिक्षा में साढ़े तीन लाख पद स्वीकृत
शिक्षा विभाग (education department) में निदेशक से लेकर चतुर्थ श्रेणी (From Director to Class IV) तक के अधिकारी एवं कार्मिकों के साढ़े तीन लाख से अधिक पद स्वीकृत हैं। निदेशक को छोड़कर किसी भी श्रेणी के शत-प्रतिशत पद भरे हुए नहीं हैं। माध्यमिक शिक्षा में 370891 स्वीकृत पदों पर 245895 कार्मिक ही कार्यरत हैं। यानी एक लाख 24 हजार 996 पद रिक्त हैं। प्रारंभिक शिक्षा में 25 हजार से अधिक शिक्षकों के लेवल प्रथम व द्वितीय (Level 1 and 2 of teachers) के पद रिक्क्त हैं।
दो साल में भरेंगे पद
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर (Education Minister Madan Dilawar) ने बताया कि शिक्षा विभाग में रिक्त पदों को भरने की कार्यवाही शुरू कर दी गई है। अगले दो साल में विभाग में एक भी पद रिक्त नहीं रहने दिया जाएगा। स्वीकृत सभी पद भरने के साथ आवश्यक नए पद भी सृजित किए जाएंगे।
समय-समय पर डीपीसी होती रहे
राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ रेस्टा (Rajasthan Senior Teachers Association Resta) के प्रदेश प्रवक्ता बसंत ज्याणी ने बताया कि शिक्षकों के पद रिक्त होने के कारण समय पर पाठ्यक्रम पूरा नहीं होता। अगर समय-समय पर डीपीसी होती रही, तो काफी हद तक रिक्त पदों की समस्या का समाधान हो सकता है। सरकार को शिक्षकों के साथ अन्य श्रेणी के कार्मिकों के पद भी समय पर भरने चाहिए।
यह भी पढ़ें